ख़ुशियों की न परवाह थी उसको वह तो सिर्फ दुख सहता रहा ख़ुशियों की न परवाह थी उसको वह तो सिर्फ दुख सहता रहा
फूंकते हो तुम, सुलग जाती हूँ मैं सुनो, इसे बुझा दो बुझना चाहती हूं मैं। फूंकते हो तुम, सुलग जाती हूँ मैं सुनो, इसे बुझा दो बुझना चाहती हूं मैं...
चार कश और गयी जिंदगानी। चार कश और गयी जिंदगानी।
उसके सपनों को एक नया मुकाम दे रहा हूं। उसके सपनों को एक नया मुकाम दे रहा हूं।
चाह कर भी कभी न तोड़ सके ऐसी बेड़ी हमारे पाँव में थी। चाह कर भी कभी न तोड़ सके ऐसी बेड़ी हमारे पाँव में थी।
हर दिल की धड़कन कुछ कहती है हर पल धड़कती है क्या खूब बनाया इस दिल को। हर दिल की धड़कन कुछ कहती है हर पल धड़कती है क्या खूब बनाया इस दिल को।